आभा के जीवन में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन कुछ समय से उनके मायके में विवाद चल रहा था। आभा नहीं चाहती थीं कि इन परेशानियों का असर उनके पति निखिल पर पड़े, इसलिए उन्होंने यह सब कुछ उनसे छुपा लिया और खुद ही हल करने में लगी रहीं।
उन्हें यह एहसास नहीं था कि इस वजह से निखिल और उनके बीच दूरी बढ़ती जा रही थी। आभा की कई बातें निखिल से छुपी हुई थीं, जिसके चलते निखिल को गलतफहमी होने लगी और वे धीरे-धीरे मन ही मन उनसे दूर होने लगे।
शादी के इतने सालों बाद आभा को लगता था कि सब सही चल रहा है, लेकिन कैसे यह सब बिगड़ गया, उन्हें पता भी नहीं चला। निखिल स्वभाव से ही शांत और कम बोलने वाले थे, इसलिए कभी किसी बात को लेकर सवाल-जवाब नहीं करते थे।
जब आभा को अहसास हुआ कि कुछ गलत हो रहा है, तब तक शायद बहुत देर हो चुकी थी। एक दिन निखिल ने सीधे आभा से कहा कि वे तलाक लेना चाहते हैं। निखिल ने बताया कि अब उनकी ज़िन्दगी में कोई और है, और वे अब आभा के साथ नहीं रह सकते। उनका फैसला नहीं बदलेगा, चाहे आभा कुछ भी कहें।
यह सुनकर आभा के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कैसे और कब वे निखिल से इतनी दूर हो गईं कि उनके जीवन में कोई और आ गया। आभा खुद को संभालने की कोशिश कर रही थीं और निखिल से बात करना चाहती थीं। लेकिन निखिल ने कोई बात सुनने से इंकार कर दिया।
कुछ दिनों तक घर में अजीब सी खामोशी छाई रही। आभा सोच में डूबी रहती थीं कि क्या करना चाहिए। उन्हें गुस्सा भी आ रहा था कि निखिल उन्हें छोड़कर किसी और के साथ जाना चाहते हैं। पर फिर भी, वे इस रिश्ते को एक और मौका देना चाहती थीं।
दो महीने बाद, निखिल ने तलाक के कागजात तैयार करवा लिए और आभा के सामने रख दिए। उन्होंने कहा कि आभा को उन पर साइन कर देना चाहिए। आभा ने निखिल से एक आखिरी बार बात करने की कोशिश की, लेकिन निखिल ने दरवाजा बंद कर लिया।
पूरी रात आभा रोती रहीं। अगली सुबह निखिल ने फिर से कहा कि कागजात पर साइन कर दें। आभा ने सोचा कि उन्हें इस रिश्ते को एक और मौका देना चाहिए। उन्होंने निखिल से कहा कि वे साइन कर देंगी, लेकिन एक शर्त है।
निखिल ने पूछा, “क्या शर्त है?”
आभा ने कहा, “आपको एक महीने तक वही करना होगा, जो आप हमारी शादी के शुरुआती दिनों में करते थे।”
निखिल ने पूछा, “क्या करना होगा?”
आभा ने कहा, “रात को सोते समय आपको मुझे गोद में उठाकर बिस्तर तक ले जाना होगा, जैसा आप शादी के बाद करते थे।”
निखिल ने थोड़ा गुस्से से आभा की तरफ देखा और कहा, “यह संभव नहीं है।”
आभा ने कहा, “अगर आप मेरी यह इच्छा पूरी करते हैं तो साइन करते समय मेरा दुःख थोड़ा कम हो जाएगा।”
निखिल कुछ समय चुप रहे और फिर उन्होंने आभा की बात मान ली।
पहली रात निखिल ने आभा को गोद में उठाया, और आभा ने उनके गले में हाथ डाल दिए। आभा के चेहरे पर मुस्कान और शर्म थी। उन्हें लगा जैसे उनकी शादी का पहला दिन है। धीरे-धीरे निखिल आभा को लेकर बिस्तर तक गए।
पहले कुछ दिनों तक निखिल के चेहरे पर थोड़ी मुस्कान दिखाई देने लगी। 15 दिन बाद निखिल के व्यवहार में बदलाव आने लगा। उनकी आँखों में प्यार दिखाई देने लगा। रोज़ रात को यही होता था, और दोनों के बीच की दूरी मिटने लगी।
एक महीने का समय पूरा होते-होते निखिल और आभा के बीच सब कुछ सामान्य हो गया। निखिल ने तलाक का ख्याल छोड़ दिया और उनके बीच की सारी गलतफहमियाँ दूर हो गईं।
आभा ने निखिल से इस बारे में कोई सवाल नहीं किया, लेकिन अब उन्हें यकीन था कि निखिल के जीवन में कोई और नहीं है। उन्होंने तय किया कि वे अपने प्यार को कभी खोने नहीं देंगी।
निष्कर्ष
प्यार की पुनः खोज: सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता, उसे केवल समय-समय पर पुनः जाग्रत करने की आवश्यकता होती है।