मैं कविता हूं। मैंने और विनय ने 1 साल की डेटिंग के बाद शादी की है। हमारी शादी में सिर्फ हमारे कुछ खास दोस्त और माता-पिता ही शामिल थे। विनय चाहते थे कि हमारी शादी सादगी से हो। हम एक बड़े शहर में काम करते हैं, जबकि विनय के माता-पिता गांव में रहते हैं।
विनय ज्यादा गांव नहीं जाते। जब भी मम्मी-पापा से मिलना होता है, वे शहर में आकर हमसे मिलते हैं। हमने शहर में एक छोटा सा घर ले लिया है। शादी के चलते मैंने नौकरी छोड़ दी है। हमारा घर सड़क के किनारे है, और खिड़कियों से बाहर का नज़ारा साफ दिखता है।
विनय का ऑफिस का समय सुबह 9 बजे का है। मैं सुबह उनके लिए खाना बनाती हूं। पिछले कुछ दिनों से मैं खिड़की के बाहर एक लड़की को देख रही हूं। वह हमारी तरफ देखती रहती है। शुरू में मैंने सोचा कि वह किसी और चीज को देख रही होगी, लेकिन वह पिछले कुछ दिनों से लगातार ऐसा कर रही है।
एक दिन मैंने तय किया कि मैं उससे जाकर बात करूंगी। विनय सुबह सो रहे थे और वह लड़की फिर से दिखाई दी। मैंने उससे पूछा, “आप कौन हैं? और यहां क्यों खड़ी रहती हैं?” उसने घबराते हुए कहा, “क्या विनय यहां रहते हैं?” मैंने कहा, “हां, आप उन्हें कैसे जानती हैं?” इतना सुनकर वह घबरा गई और वहां से चली गई।
जब मैंने यह बात विनय को बताई, तो वह नाराज़ हो गए और बोले, “पागल हो क्या? कोई भी कुछ बोलेगा और तुम मान लोगी?” लेकिन मैंने देखा कि विनय के चेहरे का रंग उड़ गया था। शाम को मैंने इस बारे में कोई बात नहीं की।
अगली सुबह जब मैं उठी, तो विनय पहले से उठे हुए थे। मैंने किचन की खिड़की खोली, जो बहुत मुश्किल से खुली। बाहर देखा तो विनय उसी लड़की से बात कर रहे थे। वह उस पर चिल्ला रहे थे और उसे वहां से जाने के लिए कह रहे थे। मैंने खिड़की बंद कर ली ताकि विनय को यह न लगे कि मैंने सब कुछ देखा है।
अब मैं जानना चाहती थी कि वह लड़की कौन है और विनय उससे क्या छिपा रहे हैं। एक दिन जब मेरी तबियत बहुत खराब हो गई, तो मैं अस्पताल गई। वहां मुझे वही लड़की दिखाई दी। मैंने उसका हाथ पकड़कर पूछा, “क्यों मेरे जीवन में उथल-पुथल मचा रही हो? विनय से तुम्हारा क्या रिश्ता है?”
लड़की ने जो बताया, उसे सुनकर मेरे होश उड़ गए। उसने बताया कि वह विनय की बहन संध्या है। उसने अपने पसंद के लड़के से शादी की थी, जिससे विनय और उसके परिवार ने उससे सारे रिश्ते तोड़ दिए थे। विनय ने कहा था कि उसकी कोई बहन नहीं है।
शाम को जब विनय घर आए, तो संध्या को देखकर चौंक गए। मैंने विनय से कहा, “विनय, शर्म करो। तुम अपनी सगी बहन की मदद नहीं कर रहे। उसका पति अस्पताल में है और उसे रुपयों की जरूरत है।”
हमारे बातचीत के दौरान विनय फूट-फूटकर रोने लगे। उन्होंने कहा, “हमने संध्या को बहुत प्यार दिया। वह बिना बताए चली गई थी, इसलिए हमने उससे सारे रिश्ते तोड़ दिए थे।”
संध्या भी रोने लगी और बोली, “भैया, मुझे लगा आप लोग नहीं मानेंगे।”
उन्हें रोते हुए देखकर मेरे भी आंखों में आंसू आ गए। फिर विनय ने संध्या के पति की मदद की। उन्होंने अपने माता-पिता को भी बुलाया। सभी ने संध्या को प्यार से गले लगा लिया।
अब अस्पताल में संध्या के पति की हालत बेहतर हो रही है। डॉक्टर ने कहा है कि वह जल्दी डिस्चार्ज हो जाएंगे। विनय की आंखों में अब एक अलग सुकून दिखाई देता है। विनय ने संध्या से कहा, “अब कुछ करेगी तो माफ नहीं करूंगा। हमेशा मेरी प्यारी बहन के रहना।”
इस पूरे अनुभव ने हमें सिखाया कि रिश्तों में माफ करना और प्यार बांटना कितना जरूरी है।