रात के 9:00 बजे थे जब विकास थकान से चूर अपने ऑफिस से घर पहुंचा। जैसे ही उसने दरवाजा खोला, उसे सोनाली की चिढ़ी हुई आवाज सुनाई दी।
सोनाली ने तीखे स्वर में कहा, “तुम्हें कभी समय पर आना नहीं आता? हर रोज इतनी देर से आते हो!”
विकास ने भारी मन से जवाब दिया, “सोनाली, काम ज्यादा था, इसीलिए देर हो गई। मुझे खाना तो दे दो, बहुत भूख लगी है।”
सोनाली ने नाराजगी भरे स्वर में कहा, “खुद जाकर खा लो, मुझे नींद आ रही है।”
विकास चुपचाप रसोई की ओर बढ़ा और फ्रिज से बचा हुआ खाना निकाल कर खाने लगा। वह जानता था कि सोनाली उसे पसंद नहीं करती थी, और इसी कारण वह उससे बिना वजह चिढ़ी रहती थी।
रातभर सोनाली उससे बहस करती रही, और विकास ने हमेशा की तरह सब कुछ सहन किया, बिना एक शब्द कहे।
सुबह जब वह उठी, तो विकास पहले से ही तैयार था। उसने उम्मीद से पूछा, “मुझे नाश्ता तो दे दो।”
सोनाली ने गुस्से में कहा, “मैं तुमसे तंग आ गई हूँ। तुम मर जाओ।”
विकास कुछ नहीं बोला, बस चुपचाप अपना बैग उठाया और ऑफिस के लिए निकल गया।
दोपहर में, सोनाली बच्चों को स्कूल से लेकर घर लौटी, तो उसने देखा कि घर के बाहर भीड़ लगी हुई है। दिल की धड़कन तेज हो गई, और वह तेजी से भीड़ के बीच से रास्ता बनाते हुए आगे बढ़ी।
वहां विकास का शव पड़ा था। सोनाली का दिल दहल गया और वह वहीं बैठकर फूट-फूट कर रोने लगी। लोग कानाफूसी कर रहे थे कि विकास का कार एक्सीडेंट हो गया था।
सोनाली रोते हुए बोली, “विकास, उठ जाओ। मैं तुमसे कभी नहीं लड़ूंगी। तुम्हें भूख लगी थी ना, चलो मैं खाना देती हूँ। बस तुम उठ जाओ।”
मगर विकास कभी नहीं उठ सकता था। वह उसकी आखिरी कड़वी बात सुनकर जा चुका था। सोनाली के भीतर पछतावे की आग धधकने लगी। उसने महसूस किया कि विकास की कमी से उसकी दुनिया ही बदल गई थी।
विकास के जाने के बाद, सोनाली को जीवन की कठोर सच्चाई का सामना करना पड़ा। रिश्ते बदलने लगे, और उसके अपने लोग भी उससे दूरी बनाने लगे। उसे हर ओर से ताने सुनने को मिलते थे।
कुछ ही दिनों में, ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया, उसके हिस्से का मकान भी छीन लिया गया। अब सोनाली के पास ना घर था, ना विकास की प्यार भरी मुस्कान।
एक दिन, सोनाली अपनी सहेली नीता से मिलने गई। नीता ने उसे देखकर कहा, “सोनाली, तुमने विकास की कितनी अनदेखी की थी। वह कितना अच्छा इंसान था।”
सोनाली की आँखों से आँसू बहने लगे, “नीता, मुझे अब एहसास हो रहा है। पति जैसा भी हो, वह औरत के सिर का ताज होता है। मुझे विकास की कीमत उसके जाने के बाद समझ आई है।”
नीता ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, “सोनाली, अब पछतावे का कोई मतलब नहीं। कोशिश करो खुद को संभालने की और अपने बच्चों के लिए जीने की।”
सोनाली ने आँसू पोंछते हुए कहा, “तुम सही कह रही हो। मैं अब अपनी गलतियों से सीखूँगी और अपने बच्चों के लिए एक नई शुरुआत करूँगी।”
उस दिन सोनाली ने तय किया कि वह अब अपने बच्चों के लिए मजबूत बनेगी और जीवन में आगे बढ़ेगी। लेकिन विकास की कमी उसकी जिंदगी में हमेशा एक खाली जगह बनाए रखेगी।