सफर का सबक: एक लड़की की कहानी

रवि को 16 सितंबर को दिल्ली एक जरूरी काम से जाना पड़ा। काम अचानक ही आया, इसलिए उसने जल्दबाजी में तत्काल स्लीपर टिकट बुक कर लिया और कैफियत एक्सप्रेस ट्रेन में बैठ गया। ट्रेन चल चुकी थी और रवि अपनी सीट पर बैठकर एक मैगज़ीन पढ़ने में मशगूल हो गया। ट्रेन चले हुए तीन घंटे बीत चुके थे, जब एक सलवार सूट पहने गोरी सी लड़की, जिसने एक बैग थाम रखा था, उसकी सीट के किनारे आकर बैठ गई।

रवि ने देखा कि लड़की बार-बार इधर-उधर देख रही थी, मानो कुछ खोज रही हो या किसी चिंता में हो। वह बीच-बीच में रवि की ओर भी देख लेती थी, जैसे उसे यह डर हो कि रवि कहीं उसे सीट से उतार न दे।

रवि ने मैगज़ीन को एक तरफ रखते हुए कहा, “कहां जाना है?”

लड़की ने धीमे स्वर में जवाब दिया, “दिल्ली।”

रवि ने पूछा, “आप कहां तक जाएंगे?”

लड़की ने झिझकते हुए कहा, “मुझे भी दिल्ली जाना है, और आपकी सीट कहाँ है?”

लड़की ने थोड़ी असहजता से कहा, “मेरे पास जनरल टिकट है।”

रवि ने समझाते हुए कहा, “कोई बात नहीं, अभी टीटी आएगा, तो टिकट बनवा लेना। शायद सीट भी कहीं मिल जाए।”

लड़की ने राहत की सांस लेते हुए कहा, “जी, ठीक है। मैं टिकट बनवा लूंगी, लेकिन तब तक मुझे बैठने दीजिए।”

रवि ने मुस्कराते हुए कहा, “कोई बात नहीं, बैठी रहो।”

थोड़ी देर बाद टीटी आया और लड़की को स्लीपर का टिकट तो बना दिया, लेकिन कोई सीट खाली नहीं थी, इसलिए सीट नहीं मिली।

रवि ने लड़की से बातचीत शुरू की, “आप क्या करती हो?”

लड़की ने जवाब दिया, “कुछ नहीं।”

रवि ने कहा, “मेरा मतलब पढ़ाई से है।”

लड़की ने जवाब दिया, “जी, मैं ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ती हूं।”

रवि ने पूछा, “अच्छा! और आपके घर में कितने लोग हैं?”

लड़की ने कहा, “मम्मी, पापा, भाई, बहन सब हैं।”

कुछ समय बाद, लड़की ने अपने बैग से मोबाइल निकाला और उसमें सिमकार्ड डालकर किसी से बात करने लगी। रवि ने देखा कि लड़की ने अपनी लोकेशन भी साझा की।

रवि ने पूछा, “पापा से बात कर रही थी स्टेशन पर रिसीव करने के लिए?”

लड़की ने थोड़ी देर सोचा, फिर बोली, “नहीं, पापा तो गांव में हैं।”

रवि ने फिर पूछा, “तो फिर भैया होंगे?”

लड़की ने हिचकिचाते हुए कहा, “नहीं, वो… मेरे… वो थे।”

रवि ने समझाते हुए कहा, “ओह, समझा! मुझे तो नहीं लगता कि अभी आपकी शादी हुई है।”

लड़की ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “जी, अभी तो नहीं हुई है, लेकिन दो-तीन दिन में हो जाएगी।”

रवि ने कहा, “ओह, इसका मतलब प्रेम विवाह करने जा रही हो।”

लड़की की आंखों में खुशी झलक रही थी, उसने कहा, “जी, बिल्कुल।”

रवि ने उत्सुकता से पूछा, “लड़का क्या करता है?”

लड़की ने गर्व से कहा, “वो दिल्ली में नौकरी करता है। उसने कहा है कि मुझे भी नौकरी दिला देगा। फिर हम दोनों मौज से रहेंगे।”

रवि ने मुस्कराते हुए कहा, “काफी स्मार्ट लड़का होगा।”

लड़की ने प्यार भरे स्वर में कहा, “जी, बहुत स्मार्ट है और बहुत अच्छे स्वभाव का है।”

रवि ने अपनी कहानी साझा करते हुए कहा, “मैंने भी प्रेम विवाह किया है।”

लड़की की आंखों में चमक आ गई, उसने पूछा, “आप भी भागकर शादी किए थे?”

रवि ने हंसते हुए जवाब दिया, “नहीं! मैं जिस लड़की को पसंद करता था, वह भी मुझसे भागकर शादी करने के लिए कह रही थी। लेकिन मैंने उससे कहा कि हम तुमसे प्रेम तो करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि जो मां हमें अपने गर्भ में रखा, हमारा ख्याल रखा, बाथरूम साफ किया, जिस पिता ने हमें चलना सिखाया, उन सबका प्यार ठुकरा दें। उनका सम्मान हमारे लिए बहुत मायने रखता है। इसलिए मैंने अपने माता-पिता को मनाया और आखिरकार उन्होंने हमारी शादी के लिए हाँ कर दी।”

रवि ने गंभीरता से पूछा, “वैसे, क्या तुम्हारे घरवाले तुम्हारे प्रेमी के बारे में जानते हैं?”

लड़की ने सिर झुकाकर कहा, “नहीं, कोई नहीं जानता।”

रवि ने चिंतित होकर कहा, “क्या तुमने उसका घर देखा है और उसके परिवार वालों से मिली हो?”

लड़की ने फिर सिर झुकाते हुए कहा, “नहीं।”

रवि ने चिंता भरे स्वर में कहा, “तुम्हारे साथ धोखा हो सकता है।”

लड़की ने तुरंत प्रतिवाद करते हुए कहा, “नहीं, वह ऐसा लड़का नहीं है। वह मुझसे बहुत प्यार करता है।”

रवि ने उसे समझाने की कोशिश की, “जो सच में प्यार करता है, वह प्यार जताने के बजाय उसे महसूस कराता है। वह तुम्हारे हित में सही और गलत का भी ध्यान रखता है। लेकिन मुझे लगता है कि वह तुम्हारे धन और सुंदरता से प्यार करता है, न कि तुमसे।”

लड़की ने नाराजगी से कहा, “यह गलत है, वह ऐसा नहीं कर सकता।”

रवि ने उसे समझाते हुए कहा, “ठीक है, यह तुम्हारी मर्जी है। लेकिन अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हें एक तरीका बताता हूं जिससे तुम उसकी सच्चाई जान सकती हो।”

लड़की ने उत्सुकता से पूछा, “कैसे?”

रवि ने सुझाव दिया, “उसे फोन करके कहो कि तुम्हारे माता-पिता मान गए हैं और वे तुम्हारी शादी उससे करने के लिए तैयार हैं। वे दिल्ली आने के लिए भी कह रहे हैं और तुम्हारे मामा-मामी भी वहां पहुंच जाएंगे। कहो कि आखिरकार शादी करनी ही है, तो क्यों न तुम्हारे पसंद के लड़के से ही करें ताकि सबका मान-सम्मान भी बना रहे। साथ ही, अपने माता-पिता को भी बुलाने को कहो।”

लड़की ने वैसा ही किया, जैसा रवि ने कहा। उसने फोन लगाया और वह सब बातें कही जो रवि ने बताई थीं। दूसरी ओर से लड़के ने उसे सुनते ही गुस्से में कहा, “तेरी जैसी कितनी लड़कियां आईं और चली गईं, और तुम मुझे बेवकूफ बनाने आई हो। पागल समझ रखा है क्या?” उसने डांटते हुए फोन काट दिया।

लड़की फिर से फोन लगाने की कोशिश करने लगी, लेकिन अब फोन स्विच ऑफ बता रहा था।

रवि ने गंभीर स्वर में कहा, “अब उसका फोन कभी नहीं लगेगा। ऐसे लड़के अलग-अलग लड़कियों के लिए अलग-अलग सिमकार्ड का उपयोग करते हैं।”

लड़की के चेहरे पर चिंता और भय का मिश्रण था। उसने कहा, “अब मैं घर नहीं जा सकती। उन्हें अपनी परेशानी कैसे बताऊं?”

रवि ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा, “घबराओ मत, तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगड़ा है। अब एक काम करो, अपने घर फोन लगाओ और अपनी सच्चाई बताओ।”

लड़की ने हिचकिचाते हुए फोन लगाया। उसकी आवाज में कांपती हुई हल्की सी राहत थी, “हेलो, हां पापा!”

उधर से उसके पिता की आवाज आई, “बिटिया, कहां हो? हम सब तुम्हें खोज रहे हैं, बिना खाए-पिए बैठे हैं।”

लड़की की आंखों से आंसू बहने लगे, उसने कहा, “पापा, बस थोड़ी सी बहक गई थी, लेकिन अब ठीक हूं। कल तक घर आ जाऊंगी।”

लड़की ने रवि का धन्यवाद किया और अगले स्टेशन पर उतरकर दूसरी ट्रेन से अपने घर के लिए रवाना हो गई। उस ट्रेन सफर ने उसे एक ऐसी सीख दी थी, जिसे वह जीवनभर नहीं भूलेगी