घूँघट परंपरा August 8, 2024Posted inपरिवारिक कहानियां, सामाजिक कहानिया शुरुआत में, जब मैं अपने ससुराल आई थी, तो मुझे एक अनकही परंपरा का सामना करना पड़ा। हर बहू को अपनी दादी सास के सामने घूँघट निकालना पड़ता था। यह…
बदलते वक़्त की दास्तान August 8, 2024Posted inजिंदगी पर कविता, परिवारिक कहानियां ये उम्र चालीस की बड़ी अजीब होती है ! ना बीस का जोश, ना साठ की समझ, ये हर तरह से गरीब होती है । ये उम्र चालीस की बड़ी…
खूबसूरत भ्रम और सही पहचान August 7, 2024Posted inपरिवारिक कहानियां लड़का ट्रेन से उतरकर प्लेटफार्म पर चलते हुए निकास-द्वार की ओर मुड़ा ही था कि उसकी नजरें अचानक ठहर गईं। निकास-द्वार के पास एक बेहद खूबसूरत लड़की खड़ी थी, जो…
असली बोझ August 7, 2024Posted inपरिवारिक कहानियां मैंने रीमा के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा, "रीमा! आज तुम कुछ परेशान लग रही हो?" उसने मुझे घूरते हुए कहा, "आपको क्या! चाहे बेटी ट्यूशन से फीस न…
समाज का आईना August 7, 2024Posted inपरिवारिक कहानियां निखिल बहुत परेशान था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस स्थिति से कैसे निपटे। वह अपनी माँ को बहुत चाहता था, किंतु उसकी पत्नी और बच्चे उसकी…
नसीब से मिली बहन August 7, 2024Posted inपरिवारिक कहानियां मेरा नाम नेहा है, और मेरी बहन का नाम दिशा है। हम दोनों जुड़वाँ हैं, और दिशा मुझसे दो मिनट बड़ी है। हमारे बीच बड़ा ही गहरा प्यार है। हमने…
एक अनोखी बहू August 5, 2024Posted inपरिवारिक कहानियां1 Comment शादी के लिए देखने गई सुषमा जी ने अपनी समधन से कहा, "राजीव मेरा इकलौता बेटा है, जैसा नाम वैसा गुण। जब-जब मैं दूसरे बच्चे के न होने पर उदास…